एक महिला के जीवन में सबसे महत्वपुर्ण और सूंदर भाग तब शुरू होता है जब वह माँ बनती है. जिसके लिए उसे असहनीय पीड़ा से भी गुज़ारना पड़ता है. न सिर्फ असहनीय पीड़ा बल्कि और भी तरह तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन सबके बाद मिलने वाली ख़ुशी के आगे यह पीड़ा और दिक्कतों का कोई मूल्य नहीं होता. फाइब्रोमायल्जिया इन्ही कुछ दिक्कतों में से एक है जो महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले और आखिरी तिमाही में होती है.
क्या है फाइब्रोमायल्जिया?
फाइब्रोमायल्जिया एक मस्कुलोस्केलेटल बीमारी है जो गर्भवती महिलाओं को थकान, नींद और बौद्धिक और स्ट्रेस की वजह से हो सकती है. ऐसा नहीं है की यह बीमारी सिर्फ गर्भवती महिलाओ को ही हो सकती है, बल्कि कोई भी महिला इसका शिकार हो सकती है. यह बीमारी मांसपेशियों से जुडी होती है, और गर्भवस्ता महिलाओं को काफी थकान और इमोशनल वीक कर देने वाला होता है.
शुरुआती तिमाही
शुरुआती दौर में शरीर अपने आप को अडॉप्ट करने की कोशिश कर रहा होता है, ऐसे में किसी भी प्रकार का ड्रग लेना सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. थकान को काबू करना तब और भी मुश्किल साबित होता है.
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दूसरी तिमाही
दूसरी तिमाही में महिलाओं का शरीर हर तरह से अडॉप्ट कर लेता है. ऐसे में फाइब्रोमायल्जिया को काबू करना काफी आसान हो जाता है. दर्द और थकान भी काफी हद्द तक कम हो जाता है.
आखिरी तिमाही
आखिर के कुछ महीने कठिन साबित हो सकते है. आखिर की तिमाही में कई प्रकार के ब्रह्म पढ़िए होते है ऐसे में असहजता, थकान, सीने में जलन में और सोने में दिक्कत जैसी परेशानियों का सामना करना पद सकता है. फाइब्रोमायल्जिया यह सब दिक्कतें दुगनी तीव्रता से होने लगती है.
देखभाल के टिप्स
चलते गर्भावस्ता के दौरान होने वाली दिक्कत परेशानियां दुगनी हो सकती है. ऐसे में ज़्यादा ध्यान रखने की ज़रूरत पड़ती है. दिक्कतें इतनी बढ़ने लगती है की इनसे निजात पाने के लिए खान पान की आदतों में सुधर लेन की ज़रूरत पड़ती है. ऐसे में अधिक से अधिक आराम लें शरीर पर ज़्यादा ज़ोर न डालें और घर के कामों से दूर रहें या किसी की मदद ले लें.
डॉक्टरों का कहा
शरद कुलकर्णी, आयुर्वेदिक डॉक्टर का कहना है कि इससे इंटायूट्राइन ग्रोथ के कम होने का जोखिम रहता है. डॉक्टरों का केहना यह भी है की फाइब्रोमायल्जिया प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स भी ला सकता है है. डॉक्टर शरद के मुताबिक फाइब्रोमायल्जियामें में दर्द का एहसास इतना होता है की छूने पर भी दर्द का एहसास होता है. मायल्जिया को मसल दर्द भी कहा जाता है जिसे योग, प्राणायाम, मेडिटेशन, और मालिश से सही किया जा सकता है. आयुर्वेदन स्वेदन क्रिया की मदद से भी सही किया जाता है.
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