लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूलों ने बहुत मनमानियां करीं थी जिसके चलते सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर नए नियम लागू करने के आदेश दिए है.
उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों पर नए नियम और कानून लागू किये है. जानकारी के अनुसार जनवरी में सरकार ने सत्र 2022-2023 के छात्रों की फ़ीस में बढ़ोतरी न करने का आदेश दिया था. यह आदेश कोरोना महामारी में दिया गया जिसके तहत 2019-20 में निर्धारित फ़ीस ही लागू की जाएगी. जारी किये गए नियम और आदेशों के अंतर्गत निर्धारित स्कूल यूनिफार्म 5 साल से बाद नहीं सकेंगे और इसी के साथ स्कूलों की फीस कैश में जमा न होकर अन्य विकल्प जैसे डीडी, एनईएफटी, चेक अथवा अन्य माध्यमों के ज़रिये की जाएगी.
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शिक्षा सामग्री खरीदने के लिए नहीं कर सकते बाध्य
जहाँ एक तरफ आदेश में 5 साल तक यूनिफार्म न बदलने को कहा गया है वहीँ दूसरी तरफ स्कूल किसी बच्चे को किसी भी प्रकार की कॉपी किताब खरीदने के लिए ज़बरदस्ती नहीं कर सकता. यदि स्कूल किसी भी नियम और कानूनों का खंडन करता है तो उसकी मान्यता उसी समय रद्द कर दी जायगी. प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चो को पढ़ाने वाले अभिभावकों के लिए काफी राहत की बात है.
जायेगा स्कूलों की फ़ीस का रेगुलर डाटा
हरियाणा शिक्षा निर्देशालय ने आदेश जारी किया है जिसमे कोई भी निजी या प्राइवेट स्कूल 10.13 प्रतिशत से ज़्यादा फीस नहीं बढ़ा सकता. जिले के सभी स्कूलों को इस आदेश का नियमानुसार पालन करना होगा. जिसमे कुल 400 स्कूल शामिल है. स्कूलों की फ़ीस अब तक कैश में जमा हुआ करती थी जिस कारण कागज़ातों में और वसूली गयी फीस में भारी अंतर मालूम पड़ता था, जिस कारन दिए गए आदेशों में अब स्कूल फीस कैश में न जमा होकर अन्य माध्यम जैसे डीडी आरटीजीएस के ज़रिये हुआ करेगी. ऐसा करने पर स्कूलों द्वारा वसूली गयी फीस का सटीक डाटा सरकार तक पंहुचा करेगा. इसी के साथ स्कूलों की छमाही और वार्षिक फीस पर भी सरकार ने रोक लगायी है. स्कूल में प्रवेश के समय ही कक्षा पहली, छटी, नवी, और ग्याहरवी में दाखिले के समय पर ही योग्य दाखिला फीस ली जायगी.
धारित किये गए नियमों का उलंघन स्कूल की मान्यता पर भारी पड़ सकता है.
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