यूक्रेन और रुस के बीच जारी इस युद्ध संघर्ष का आज छठा दिन है। पिछले 5 दिनों से यूक्रेन और रुसी सैनिकों के बीच ताबड़तोड़ गोलीबारी और बमबारी हो रही है। बताया जा रहा है कि ऐसे में हज़ारों की संख्या में यूक्रेनी सैनिकों की मौत हो गई है जबकि सैकड़ों रुसी सैनिकों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन के खारकीव और कीव में स्थिति काफी भयावह रुप ले चुकी है। यहां पल-पल में हवाई हमले को लेकर सायरन बजाए जा रहे हैं। यही कारण है कि लोग शहर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
पुतिन ने दी ‘परमाणु युद्ध’ की धमकी
उधर, रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु युद्ध की धमकी देकर विश्वस्तर पर टेंशन बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि पिछले 6 दिनों से रुसी सैनिक खारकीव और कीव पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन यूक्रेनी सैनिकों के पराक्रम के आगे उनकी एक नहीं चल रही है। इसे रुस विश्वस्तर पर उसकी बेज्जती के रुप में ले रहा है यही कारण है कि वह बौखलाया हुआ है।
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बता दें, 15 लाख की आबादी वाला खारकीव धीरे-धीरे वीरान होता जा रहा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यहां 2000 से अधिक नागरिकों की रुसी गोलीबारी में मौत हो गई है जबिक हज़ारों की संख्या में लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा लाखों लोगों ने पलायन शुरु कर दिया है।
वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यूक्रेन पर रुस को हमले को विश्व युद्ध 3 का भी नाम दिया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि खारकीव और कीव का ऐसा ही हाल आज से ठीक 80 साल पहले हिटलर के समय में हुआ था।
हिटलर ने किया था ‘खारकोव’ पर कब्ज़ा
इतिहासकारों के मुताबिक, दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाज़ियों के हमले से खारकीव तहस-नहस हो गया था। आज का खारकीव उस वक्त खारकोव के नाम से जाना जाता था और यह सोवियत संघ का अहम सैन्य अड्डा था। यही वजह थी कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस शहर ने बहुत तबाही झेली थी। यहां रहने वाले यहूदियों को हिटलर की नाजी सेना ने घर में घुस-घुसकर मारा था जिसके बाद हिटलर ने खारकीव पर कब्ज़ा कर लिया था।
हालांकि, बाद में सोवियत संघ ने नाज़ियों की कैद से खारकीव को मुक्त करा लिया था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शहर लाशों से पटा हुआ था, चारों-तरफ मौत का तांडव हो रहा था।
कहा जाता है कि सितंबर 1941 में जब नाज़ियों ने खारकीव पर कब्ज़ा किया था उस वक्त यहां रहने वाले यहूदियों की आबादी तकरीबन 25 लाख थी लेकिन हिटलर की कैद से मुक्त होते-होते यहां सिर्फ 1 लाख 20 हज़ार यहूदी ही जीवित रह सके थे। माना जाता है हिटलर की तानाशाही ने खारकीव को 70 प्रतिशत तक तबाह कर दिया था।
गौरतलब है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान खारकोव सोवियत संघ के तीन बड़े शहरों में शामिल था। यही कारण था कि हिटलर ने सबसे पहले इसी शहर को अपना निशाना बनाया था।
इसके अलावा इसका एक कारण ये भी है कि यह शहर रुस की भौगोलिक सीमा से महज़ 25 मील की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि उस वक्त हिटलर ने सोंचा था कि वह आसानी से रुस को जीत सकता है, इसलिए नाजियों ने सबसे पहले खारकोव को निशाना बनाया था।
हिटलर और पुतिन की सोंच समान?
वहीं, पुतिन की बात करें तो उन्हें भी शायद यही भ्रम हुआ था कि खारकोव और कीव को आसानी से जीता जा सकता है। उन्हें लगा था कि 1-2 दिन के युद्ध के बाद यूक्रेन उनके आगे घुटने टेक देगा जिससे वे उस पर विजय पा लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज धीरे-धीरे युद्ध शुरु हुए 5 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन रुसी सेना पूरी तरह से खारकीव और कीव पर कब्ज़ा नहीं कर पाई है।
उधर, रुस का पूरे विश्व में विरोध किया जा रहा है। कई पश्चिमी देशों ने रुस की करेंसी रुबल के साथ डॉलर-पाउंड-यूरो में व्यापार करने से मना कर दिया है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ ही दिनों में रुस की करेंसी की इंटरनेशनल वैल्यू कम हो जाएगी, जिससे खुद ब खुद रुस पीछे हटने को मजबूर हो जाएगा।
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